Friday, December 1, 2017

हमारे भारत का लोकतंत्र कितना मजबूत है ? vol -1


अभी अभी उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के परिणाम आये।  यह जानकर हर्ष भी हुआ कि लोग लोकतंत्र में अपना वोट देना नैतिक कर्तव्य समझते हैं।  मगर अफ़सोस भी हुआ कि ये जिम्मेदारी सिर्फ कुछ ही लोग निभाते हैं।  
अब इस बात के दो पहलु हैं , पहला अच्छा प्रभाव दूसरा बुरा प्रभाव। 

अच्छा प्रभाव ये की कुछ जागरूक लोग समाज और देशहित  बड़ी संजीदगी से निभा रहे हैं।  और वे इस बात को जानते हैं की लोकतंत्र में 1 - 1 वोट की क्या कीमत होती है। 

अब आते है बुरे प्रभाव के बारे में जो लोग अपनी इस नैतिक जिम्मेदारी से मुँह चुराते हैं वो ही लोग असल में राजनीति में अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। 

जानते हैं कैसे --
 जब हम किसी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार को किसी भी प्रकार के चुनाव में देखते हैं , तो सबसे पहले मन में प्रश्न आता है कि ये सब वादे करके चुनाव जीत जाते हैं और फिर अपनी शक्ल नहीं दिखाते।  हमें  इनसे क्या फायदा ?
यही सोच अगर 100 में से 60 लोग वोट देने न जाएँ तो सिर्फ उन उम्मीदवारों को अब सिर्फ 40 लोगों को टारगेट करना है।  और मज़े की बात यह की सिर्फ 40 लोगो के लिए ही 10 उम्मीदवार खड़े केर दिए जाएँ तो ratio 1 उम्मीदवार पर 4 लोगों का रह जायेगा। जाति समीकरण अलग से लाभ। 

अब आप खुद सोच लीजिये कि आपने किसे चुना ? असल में जो वो डालने जाते हैं वो किसी भी पार्टी या निर्दलीय उम्मीदवार को नहीं जिताते बल्कि जो लोग वोट नहीं देने जाते वही लोग उनको जितने का अवसर देते हैं जिनकी शिक्षा का स्तर भी निम्न होता है और समझ भी।  समाज  के लिए अगर कुछ करेंगे भी ( जिसके लिए वो चुने गए हैं ) तो उसका लम्बा चौड़ा शिलापट लगवा देंगे कि ये मैंने किया है। 

चुनाव की इस प्रणाली में बदलाव आना चाहिए कि मौका सिर्फ शिक्षित, सभ्य बेदाग़ छवि के लोगो को मिले।  
जब नौकरी के लिए फॉर्म भरते हैं तो elegibility criteria बना देते हैं जबकि देश का इतना महत्वपूर्ण पद निरक्षर आपराधिक छवि वाले लोग सिर्फ 40 लोगों के वोट से आसीन हो जाते है। 

हमारे भारत के लोकतंत्र में ये व्यवस्था ही नहीं कि जो लोग ईमानदारी से अपने  कर्तव्य का पालन करते हैं उन्हें प्रोत्साहित किया जाय ताकि उनसे दूसरे लोग प्रेणना ले सकें।

अगर राष्ट्रहित में कुछ अच्छा फैसला लेना ही है तो इस व्यवस्था में बदलाव लाना ही होगा और इसमें हम सब की भागीदारी होनी चाहिए।  वरना किसी चौराहे पर खड़े होकर लम्बे चौड़े देशहित में व्याख्यान डसने का  हमे कोई अधिकार नहीं। 

सच्चाई जानने के लिए आप स्वतंत्र हैं , अधिक जानकारी यहाँ से लें - Source :- Election Commission UP 














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हमारे भारत का लोकतंत्र कितना मजबूत है ? vol -1

अभी अभी उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव के परिणाम आये।  यह जानकर हर्ष भी हुआ कि लोग लोकतंत्र में अपना वोट देना नैतिक कर्तव्य समझते हैं।...