Friday, November 24, 2017

भारत की शिक्षा व्यवस्था कितने युवाओं को रोजगार दिला सकती है ? Vol-1


भारत की आजादी के 70 साल हो गए , मगर आज भी एक बहुत बड़ा यक्ष प्रश्न हमारे भविष्य के कर्णधारो के लिए है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था कितने युवाओं को रोजगार दिलाती है और उसमे भारत का फाइनेंस सपोर्ट और  कास्ट - रिजर्वेशन  कैसे उनकी मदद करता है ?


उदाहरण के लिए हमे यदि किसी अच्छे संसथान में प्रवेश लेना हो तो बैंक से ऊँची ब्याज दरों पर शिक्षा ऋण लेना पड़ता है जबकि कोई कार लेनी हो तो उसका ब्याज दर शिक्षा ऋण के मुक़ाबले बहुत ही कम है ?
अर्थात यदि ब्याज दर से तुलना की जाय तो कार लेना आसान है शिक्षा ऋण की अपेक्षा और कार को किराये पर या किसी ऐसे व्यवसाय में लगा दिया जाय जहाँ से पैसे आते हो तो वो अगले दिन से ही लाभकारी बन जाता है  जबकि शिक्षा ऋण के मामले में ऐसा नहीं है पहले तो संसथान में प्रवेश के लिए मारा-मारी उसके बाद कास्ट - रिजर्वेशन की दीवार लाँघो और उसके बाद संस्थान की ऊँची फीस चुकाने के लिए ऊँची ब्याज दर पर लोन लो। पढ़ाई पूरी होने के बाद भी ये गारंटी नहीं की अच्छी नौकरी तुरंत मिल ही जाय।  और तो और प्रवेश के लिए कास्ट रिजर्वेशन का पहाड़ लांघना पड़ता है , जिसका आपके ज्ञान से कोई सीधा सम्बन्ध नहीं होता।

उसके लिए तर्क क्या है कि  बच्चे अंदर क्वालिटी ही नहीं थी कि वो अच्छी नौकरी प्राप्त कर सके।  आप यहाँ एक प्रश्न है की इतने ऊँचे संस्थान जिसकी इतनी शोहरत और नाम है जिसमे प्रवेश के लिए मारा मारी है वो अपने बच्चों के अंदर वो क्वालिटी क्यों नहीं पैदा करते की उनके कैंपस से बाहर निकलते ही रोजगार मिल जाय ?

क्यूंकि हमारा एजुकेशन सिस्टम ऐसा बना हुआ है।  जो बच्चा हर वक़्त इस दबाव में रहेगा की उसे पढ़ाई के दौरान ही बैंक की ब्याज दर चुकाते  रहना है वो अपनी पर पढ़ाई पर ध्यान कैसे दे पायेगा ? दूसरा कारण ये भी हो सकता है कि अगर आप आप अमुक संस्थान में पढ़ाई करते है तो वो इस बात की गारंटी लेते है की पढ़ाई पूरी होते होते आपकी जॉब पक्की है तो वो बच्चे भी इस वजह से पड़ने के बजाय और सारे काम करते है जो उन्हें नहीं करने चाहिए।

अब जिम्मेदारी किसकी बनती है प्रवेश लेने वाले विद्यार्थी की, लोन देने वाले बैंक की, कास्ट - रिजर्वेशन का योगदान क्या है या बड़े बड़े दावे करने वाले उच्च शिक्षण संस्थानों का ?

हमारे पास यदि इसका उचित उत्तर है तो जरूर अपनी राय लिखें।







अगले अंक में क्रमशः ......








  

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